Usna Chawal in Hindi: चावल केवल हम भारतीयों का ही नहीं बल्कि पूरे दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के लोगों का मुख्य भोजन (Staple Food) है. स्वाद, रंग, आकार, टेक्सचर, बनावट और तैयार करने के तरीके आधार पर चावल कई तरह के होते हैं.
चावल बनाने यानी तैयार करने के तरीके के आधार पर चावल मुख्यतः दो तरह के होते हैं: एक, अरवा चावल (Arwa Rice) – जिसे सफेद चावल भी कहते हैं, और दूसरा, उसना चावल (Usna Rice).
उसना चावल क्या है? What is Usna Rice?
भारत में उसना चावल (Usna Rice) का भात (Cooked Rice) खाने की परंपरा सदियों-सदियों से है. चावल का यह प्रकार यानी उसना चावल एक खास लेकिन बिल्कुल देसी और पारंपरिक तरीके से बना चावल है.
धान को छिलका सहित (भूसे के भीतर) लगभग आधा पकाने के बाद उसे धूप में सुखा लिया जाता है. फिर उसे कूट कर चावल निकाला जाता है, जिसे ‘उसना चावल’ कहते हैं.
अब आप समझ गए होंगे कि इस प्रक्रिया से बने चावल को ‘उसना चावल’ क्यों कहते हैं! जी हां, इसे ‘उसना चावल’ इसलिए कहते हैं, क्योंकि यह ‘उसन कर यानी ‘भाप में पका कर’ बनाया जाता है. ‘उसनना’ का शाब्दिक अर्थ होता है, ‘भाप में पकाना या उबालना’. उसनना शब्द संस्कृत के ‘उष्ण’ से व्युत्पन्न (उत्पन्न) हुआ है.
उत्तर भारत में उसना चावल को ‘सेला या सेहला चावल’ (Sela Rice) भी कहते हैं. बहुत से लोग उसना चावल को ‘पक्का चावल’ भी कहते है. हालांकि, यह एक कच्चा चावल ही है. भारत में ही उसे ‘उकडा चावल’ के नाम से भी जाना जाता है. दक्षिण भारत में उसना चावल को संभवतया ‘पोन्नी चावल’ कहते हैं.
बस जानकारी के लिए यह बताना चाहूंगा कि संस्कृत में ‘कच्चे चावल’ को “तंडुल” और ‘ऊबले और पके हुए चावल’ को “ओदन” कहते हैं.
उसना चावल कैसे तैयार होता है? How is Usna Rice prepared?

उसना चावल हल्का पारदर्शी होता है, क्योंकि खोल सहित पकाने के कारण उसका स्टार्च ग्लूटिन में बदल जाता है.
उसना चावल बनाने की विधि की खोज किसने की और कब से बनता आ रहा है, यह बताना असंभव है. लेकिन सदियों से इसे बनाने की विधि कमोबेश एक जैसी ही है, जो कि एक परंपरागत विधि है, जिसमें कोई राकेट साइंस नहीं है.
इसे बनाने में कम-से-कम पांच दिन और अधिक से अधिक हफ्ता भर लग जाता है. जानिए क्या है, उसना चावल तैयार करने और बनाने की पूरी प्रक्रिया:
पानी में भिगोना:
उसना चावल को तैयार करने के लिए धान (छिलका सहित चावल) को कम-से-कम 24 घंटे और अधिक-से-अधिक 48 घंटे तक पानी में भिगो कर रखा जाता है. (इस अवधि से अधिक देर तक धान को भिगो कर रखने से धान में दुर्गंध पैदा हो जाता है, जो कमोबेश अंतिम उत्पाद यानी चावल में भी बना ही रहता है और इससे चावल की क्वालिटी भी गिर जाती है.)
अनुभव से उबालना:
फिर बड़ी हांडी, कड़ाह या बड़े टोपिया में देसी चूल्हे या भाड़ की धधकती आंच पर एक निश्चित पकान तक बड़े जतन से और सीखे हुए अनुभव से कम-से-कम पानी में भाप (Vapour) की ताप (उष्णता) से पकाया जाता है. इस प्रक्रिया में पकने के बाद धान की खोल थोड़ी फट-सी जाती है, जिसमें से अधपका चावल झांकता हुआ नजर आता है.
धूप में सुखाना:
फिर इसे सूरज की रौशनी यानी धूप में सुखा लिया लिया जाता है (धूप में सुखाने का यह काम प्रायः बसंत ऋतु तक पूरा कर लिया जाता है). इसमें चार से पांच दिन का समय लग जाता है. अधपका झांकता हुआ चावल फिर से धान के खोल में बंद हो जाता है, मानो अचानक नींद से जगा हो और फिर धीरे से सो गया हो.
ढेंकी या ओखली में कुटाई:
फिर उस सुखाए हुए धान को पारंपरिक तरीके से कूटा जाता है, जिसमें ढेंका/ढेंकी या ओखली का इस्तेमाल होता है. ढेंकी में पैरों का इस्तेमाल अधिक होता है, जबकि ओखली में केवल हाथों का इस्तेमाल होता है. इस चावल को हत्थकुट्टू उसना चावल कहते हैं.
इस प्रक्रिया से तैयार चावल में उसकी प्राकृतिक चमक बनी रहती है. साथ ही, चावल के पोषक तत्व अधिक-से-अधिक मात्रा में कायम रह जाते हैं. लेकिन, अफ़सोस की बात यह है कि आज यह परंपरा लगभग लुप्त-सी हो गई है.
हॉलर या मिल में कुटाई:
इस चावल को भी आजकल सामान्यतः हॉलर मशीन (धान से चावल निकालने वाला मशीन) में तैयार किया जाता है. क्योंकि, मशीन की बदौलत इसमें मेहनत और समय दोनों ही कम लगता है. लेकिन इससे चावल की क्वालिटी पहले वाले हत्थकुट्टू प्रक्रिया की तुलना बहुत गिर जाती है.
फटकना:
चावल की कुटाई के बाद उसे हाथ से फटका जाता है, ताकि उसमें से भूसी, बिना कुटा हुआ या अधकुटा धान, कंकड़-पत्थर और दूसरे अवांछित पदार्थ निकल जाए. हत्थकुट्टू चावल के लिए यह प्रक्रिया अनिवार्य है. हॉलर या मिल वाले चावल में चावल को फटकने की जरुरत बहुत कम ही पड़ती है.
फटक कर चावल को साफ कर लेना उसना चावल तैयार करने का अंतिम स्टेप है. इसके बाद चावल खाने या स्टोर करने के लायक हो जाता है.
उसना चावल खाने के 7 बेहतरीन फायदे – Benefits of Usna Rice

उसना चावल से बनी खिचड़ी हर प्रकार के रोगियों को दी जा सकती है.
उसना चावल से बने ‘भात’ के स्वाद, जायका, खुशबू और पोषकता पर इसको तैयार करने और बनाने की प्रक्रिया कोई नकारात्मक असर नहीं होता है, बल्कि इसके गुण और लाभ अन्य दूसरों चावल की तुलना में बढ़ ही जाते हैं. तो आइए संक्षेप में जानते हैं, उसना चावल खाने से क्या-क्या फायदे होते हैं:
1. इस चावल में पोटैशियम और मैंगनीज अधिक होने के कारण ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद मिलती है और दिल के दौरे के खतरे से बचाव होता है.
2. उसना चावल में ज़िंक भी काफी मात्रा में होता है, जो शरीर की इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है.
3. रोजाना उसना चावल खाने इसका मैग्नीशियम डायबिटीज रोगियों या उन लोगों के लिए जिन्हें शुगर कंट्रोल करना है, उनके लिए अच्छा है.
4. उसना चावल का एंटीऑक्सीडेंट इनफ्लेमेशन और कैंसर से बचाव में सहायक सिद्ध होता है.
5. उसना चावल पचने में आसान होता है. यह गैस की समस्या, अपच आदि और दूसरी अन्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रॉब्लम से हमारा बचाव करता है.
6. उसना चावल का फाइबर कब्ज नहीं होने देता है. यह आंतों की रक्षा करता है और आंत के कैंसर को होने से रोकता है. यह हार्ट के लिए भी फायदेमंद है.
7. किसी भी अन्य चावल की तुलना में उसना चावल में कैलोरी की मात्रा कम होती है, लेकिन पोषण अधिक होता है, जिससे वेट-कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है.
यदि उसना चावल के खाने के फायदे को और अधिक विस्तार से जानना चाहते हैं, तो रंजू की रेसिपीज वेबसाइट पर प्रकाशित इस आर्टिकल को पढ़ें: उसना चावल के खाने के फायदे Usna Chawal Khane Ke Fayde
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नोट: यदि आपका शुगर लेवल बहुत ज्यादा है, तो इस विधि से या अन्य विधियों से बने चावल खाने से परहेज करें या बिलकुल नहीं खाएं.
डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल केवल जानकारी और जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है. ‘रंजू की रेसिपीज’ संचालक आर्टिकल में प्रदत्त जानकारी और सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है. अनाज, फलों या अन्य खाद्य पदार्थों के सेवन से पोषण, रोग और ईलाज के बारे में अधिक और समुचित जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श लें.
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